Savan Hariyali Teej-हरियाली तीज पूजा विधि
Savan Hariyali Teej -हिन्दू धर्म में शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन ही भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था.इस Savan Hariyali Teej को छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से जाना जाता हैं. हरियाली तीज सावन महीने के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक हैं. इस पर्व को सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता हैं. इसके साथ ही इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहते है.
Savan Hariyali Teej
Savan Hariyali Teej के दिन महिलाये अपने पति की लम्बी उम्र और घर में सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाये पूरी श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की आराधन करती हैं.हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
हरियाली तीज में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा इस विधि से करने से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
1-इस दिन घर की साफ़ सफाई करने के बाद घर को तोरण-मंडप से सजाना चाहिए ,साथ ही मिट्ठी में गंगाजल मिला कर शिवलिंग, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा को बना कर चौकी पर स्थापित करें.
2-मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद बाद पूरी श्रद्धा के साथ देवताओं का आह्वान करने के साथ षोडशोपचार पूजन करें.
3-हरियाली तीज का पर्व में भगवान की पूजा रात भर होती हैं, इस समय महिलाओं को जागरण और कीर्तन भी करना चाहिए.
4-हरियाली तीज का व्रत निर्जला व्रत होता हैं, इसमें महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके इस व्रत की शुरुवात करनी चाहिए ,साथ ही पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माँ पार्वती की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए.
हरियाली तीज के पौराणिक महत्व के बारे में जाने
जैसा की आपको अब ज्ञात हो गया हैं ,की सावन की हरियाली तीज का पर्व भगवन शिव और माँ पार्वती के पुनः मिलान के उपलक्ष में मनाया जाता हैं. इस पर्व में शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत का विशेष महत्त्व होता हैं. उत्तर भारत के कई राज्यों में इस पर्व को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार महिलाओं को अपने मायके से लाये गए वस्त्रों और आभूषणों को धारण करना चाहिए साथ भी श्रृंगार में भी महिलाओं को अपने मायके आने वाली वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए.
इस पर्व की महत्ता और भी बढ़ जाती जाती हैं,जब कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के लिए इस पर्व के व्रत और पूजन में शामिल हो जाती हैं.